ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत ने अपनी जगह मजबूत कर ली है। मेड इन इंडिया की सफलता, बढ़ते एक्सपोर्ट्स और नए शिपिंग रूट्स ने भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बना दिया है। दुनिया की प्रमुख शिपिंग कंपनियां भारत को एशिया और यूरोप से जोड़ रही हैं, जिससे व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। जानें कैसे भारत 800 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है और ग्लोबल मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के उभरते प्रभाव के बारे में पूरी जानकारी यहां पाएं।
ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत का बढ़ता महत्व
भारत अब ग्लोबल सप्लाई चेन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। प्रमुख शिपिंग कंपनियों, जैसे एपीएम मर्स्क, मेडिटरेनियन शिपिंग कंपनी, और सीएम एसी जी एम, ने भारत को लेकर नए शिपिंग रूट्स की घोषणा की है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत का आर्थिक और रणनीतिक महत्व लगातार बढ़ रहा है।
इन कंपनियों ने भारत में निवेश करने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत अब एक भरोसेमंद और प्रतिस्पर्धी विकल्प बन गया है।
कोविड-19 के बाद ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की स्थिति
कोविड-19 के दौरान, अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने चीन से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू की। इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ भारत को हुआ। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत ने एक मजबूत भूमिका निभाई है, क्योंकि यहां का बिजनेस वातावरण कंपनियों के लिए सुरक्षित और स्थिर है।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने भी इस बदलाव को तेज किया। चीन की जीडीपी के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए अमेरिकी सरकार ने चीन पर कई बार प्रतिबंध और टैरिफ बढ़ाए। इसका नतीजा यह हुआ कि कई कंपनियों ने भारत को अपना नया विनिर्माण और निर्यात केंद्र बना लिया।
ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के एक्सपोर्ट्स का योगदान
भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स ने हाल ही में बड़ी छलांग लगाई है। अक्टूबर 2024 में, भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स में 17% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
पेट्रोलियम उत्पाद, जेम्स और ज्वेलरी, और नॉन-पेट्रोल प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की भूमिका इस वजह से भी बढ़ रही है क्योंकि देश अब उत्पादों को तेजी से तैयार करके विदेशी बाजारों तक पहुंचा रहा है।
ग्लोबल सप्लाई चेन में मेड इन इंडिया की सफलता
मेड इन इंडिया ने भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक अहम खिलाड़ी बना दिया है। पहले जहां कंपनियां केवल भारत के बाजार के लिए उत्पादन करती थीं, अब वे यहां से विदेशी बाजारों के लिए भी बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं।
मेड इन इंडिया उत्पाद, जैसे ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल्स, और फार्मास्युटिकल्स, की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत ने अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, जिससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार और विकास को बढ़ावा मिला है।
ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए भारत के लिए शिपिंग कंपनियों की घोषणाएं
दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों ने भारत के लिए बड़े स्तर पर नए रूट्स शुरू करने का ऐलान किया है:
- एपीएम मर्स्क: दुनिया में सबसे बड़ी फ्लीट (7301 कार्गो शिप्स) के साथ, यह कंपनी जनवरी 2025 से भारत के लिए तीन नए रूट्स शुरू करेगी।
- मेडिटरेनियन शिपिंग कंपनी: 664 कार्गो शिप्स की मदद से, यह कंपनी भारत को एशियाई और यूरोपीय बाजारों से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- सीएम एसी जी एम (फ्रांस): 579 कंटेनर शिप्स के साथ, इस कंपनी ने भारत को अपने एशियन नेटवर्क का हिस्सा बना लिया है।
इन प्रयासों से ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की भागीदारी और प्रभाव बढ़ेगा।
ग्लोबल सप्लाई चेन में शिपिंग रूट्स के फायदे
नए शिपिंग रूट्स का भारतीय व्यापार और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारतीय उत्पाद अब तेजी से विदेशी बाजारों तक पहुंच सकेंगे, जिससे उनकी वेटिंग टाइम में उल्लेखनीय कमी आएगी। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी के रूप में होगा, क्योंकि तेजी से पहुंचाने से शिपिंग और भंडारण लागत कम हो जाएगी। साथ ही, भारतीय उत्पाद अधिक देशों की मार्केट में आसानी से पहुंचेंगे, जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की भागीदारी और मजबूत होगी। यह न केवल भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ावा देगा।
इसका एक और बड़ा असर यह होगा कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जब मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट्स में वृद्धि होगी, तो इससे नई नौकरियां सृजित होंगी और आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिलेगी। साथ ही, तेजी से कनेक्टिविटी के कारण विदेशी निवेशक भी भारत में अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए आकर्षित होंगे। कुल मिलाकर, नए शिपिंग रूट्स न केवल भारत के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक पहुंच देंगे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। यह बदलाव भारत के ग्लोबल पावर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत का एक्सपोर्ट लक्ष्य: 800 बिलियन डॉलर से आगे
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियूष गोयल के अनुसार, भारत का 2025 तक 800 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट लक्ष्य है। उन्होंने यह भी बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में यह लक्ष्य 900 बिलियन डॉलर होगा।
भारत की बढ़ती निर्यात क्षमता और ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की मजबूत उपस्थिति इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
यह स्पष्ट है कि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत अब एक मुख्य खिलाड़ी बन चुका है। नए शिपिंग रूट्स, मेड इन इंडिया की सफलता, और निरंतर बढ़ते एक्सपोर्ट्स ने देश को एक ग्लोबल पावरहाउस बना दिया है।